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बीमारी का समय रहते पता लगाने से बचेगी जान: बच्चों में गैर-संचारी रोगों के लिए तत्काल कार्रवाई की जरूरत

भारत में बच्चों और युवाओं में गैर-संचारी रोगों (NCDs) की बढ़ती समस्या को देखते हुए, एक उच्च स्तरीय बैठक में इस मुद्दे पर तत्काल कार्रवाई करने की जरूरत पर जोर दिया गया है। बैठक में इस बात पर जोर दिया गया कि NCDs का समय पर पता लगाने और उपचार करने से न सिर्फ मरीज की देखभाल बेहतर होती है, बल्कि उनकी जिंदगी की गुणवत्ता में भी सुधार आता है।

ब्रेकथ्रू T1D और यूनिसेफ ने मिलकर इस बैठक का आयोजन किया था, जिसमें कई संगठनों और व्यक्तियों ने भाग लिया। ब्रेकथ्रू T1D की ग्लोबल एम्बेसडर पद्मजा कुमारी परमार ने कहा, “टाइप 1 डायबिटीज जैसी गैर-संचारी बीमारी से निपटने के लिए स्वास्थ्य सेवा और समय पर उपचार तक पहुंच बेहद जरूरी है।”

यूनिसेफ इंडिया की प्रतिनिधि सिंथिया मैककैफ्री ने कहा, “यूनिसेफ का मकसद बच्चों के अधिकारों की रक्षा करना, बच्चों को जीवित रहने और आगे बढ़ने में मदद करना है। महामारी का बोझ गैर-संचारी रोगों की ओर शिफ्ट हो रहा है, जिसमें टाइप 1 डायबिटीज भी शामिल है और यह दुनिया के साथ-साथ भारत में भी बच्चों और किशोरों के बीच बढ़ रहा है।”

इस बैठक में गैर-संचारी रोगों (NCDs) की रोकथाम और नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम (NP-NCDs) का समर्थन करने की योजना बनाई गई है। यूनिसेफ ने बच्चों में गैर-संचारी रोगों (NCDs) पर ध्यान केंद्रित किया है और स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत बनाने के लिए काम कर रहा है।

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