दिल्ली की दिलशाद कॉलोनी के बी ब्लॉक में लगातार मोटे और पुराने पेड़ों को काटा जा रहा है, लेकिन दिल्ली वन विभाग और पुलिस दोनों इस पर मौन साधे हुए हैं। स्थानीय निवासियों का आरोप है कि उन्होंने कई बार शिकायत की, लेकिन उनकी शिकायतों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अनदेखी
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने पेड़ों की कटाई को लेकर सख्त आदेश दिए हैं और पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता देने की बात कही है। ऐसे में दिलशाद कॉलोनी में हो रही इस खुलेआम पेड़ों की कटाई ने सवाल खड़े कर दिए हैं कि क्या स्थानीय प्रशासन और वन विभाग सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अनदेखी कर रहे हैं?
पुलिस की भूमिका पर भी सवाल
स्थानीय लोग पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठा रहे हैं। कई लोगों का कहना है कि जब-जब पेड़ काटने की कोशिश की गई, उन्होंने पुलिस को सूचित किया, लेकिन पुलिस ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। यह साफ करता है कि या तो पुलिस मामले को गंभीरता से नहीं ले रही है या फिर किसी दबाव में काम कर रही है।
कॉलोनी में पर्यावरण संकट
दिलशाद कॉलोनी के निवासी इस बात से चिंतित हैं कि पेड़ों की लगातार कटाई से क्षेत्र का पर्यावरण प्रभावित हो रहा है। स्थानीय निवासी शर्मा जी का कहना है, “पेड़ हमारे जीवन का आधार हैं। बी ब्लॉक में पेड़ों की कटाई न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रही है बल्कि स्थानीय जलवायु को भी प्रभावित कर रही है।”
वन विभाग पर आरोप
दिल्ली वन विभाग पर पहले भी लापरवाही के आरोप लग चुके हैं। दिलशाद कॉलोनी में इससे पहले भी पेड़ों की कटाई की कई शिकायतें की गईं, लेकिन वन विभाग के अधिकारियों ने कोई कदम नहीं उठाया। निवासियों का कहना है कि अधिकारी “कान में तेल डालकर सो रहे हैं।”
क्या होगी कार्रवाई?
अब देखना यह होगा कि क्या सुप्रीम कोर्ट के आदेशों और स्थानीय निवासियों के विरोध को देखते हुए दिल्ली सरकार का वन विभाग और पुलिस इस मामले में कोई कार्रवाई करती है, या फिर दिलशाद कॉलोनी के बी ब्लॉक में पेड़ों का यह ‘मर्डर’ यूं ही चलता रहेगा।
(नोट: यह लेख केवल सूचना और चर्चा के उद्देश्य से लिखा गया है।)