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बंद हो जा, IOCL का ‘सिम सिम’. जो हुक्म मेरे आका!

कल इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (IOCL) के चेयरमैन पद के लिए आवेदन का आख़िरी दिन है।

नई दिल्ली : देश की सबसे बड़ी डाउनस्ट्रीम ऑयल कंपनी इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (IOCL) के चेयरमैन पद के लिए आवेदन का कल आख़िरी दिन है। इसके बाद इस महत्वपूर्ण पद के लिए आवेदन करने का दरवाज़ा बंद हो जाएगा।
हम पाठकों को बता दें कि IOCL के चेयरमैन का चयन सर्च कम सिलेक्शन कमेटी द्वारा किया जाएगा । सर्च कमेटी में पेट्रोलियम सचिव, PSEB चेयरमैन, और HPCL के पूर्व CMD सुराना जी शामिल हैं।
सूत्रों के अनुसार, इस पद के लिए भारी संख्या में आवेदन प्राप्त होने के इमकानात बताये जा रहे हैं , स्क्रूटिनी के बाद चुने हुए भाग्यशाली उम्मीदवारों को इंटरव्यू के लिए बुलाया जाएगा।
अब यहां देखना दिलचस्प होगा कि इस प्रतिष्ठित पद के लिए किस भाग्यशाली उम्मीदवार की किस्मत चमकती है। क्या किसी का चयन होगा ? या फिर NHPC की तरह यह पद भी लम्बे समय तक खाली रहेगा?
हमारे ब्यूरोक्रेटिक सूत्रों ने बताया है कि दो बड़े जन के बीच चयन को लेकर तना-तनी जैसा माहौल बना रहता है, एक पूरब कहता है तो दूसरा पश्चिम।
शायद यही कारण रहा होगा कि हाल ही में एक कमतरी पद के चयन के लिए भी बड़े अफ़सर को कमांड संभलना पड़ी थी, सूत्र बताते हैं कि अफ़सर स्वयं इंटरव्यू पैनल में बैठे थे, जबकि सामान्यत: ऐसा नहीं होता।
एक और हादसे का ज़िक्र करते हुए सूत्र ने बताया पैनल में इंटरव्यू के दौरान, एक आकाशवाणी रूपी आवाज़ इंटरव्यू देने वाले उम्मीदवारों के कानों में गूंजी “जल्दी निपटा लें , मुझे कहीं जाना है “ इंटरव्यू देने वाले अभ्यर्थी भौंचक्के रह गए।
यह सवाल उठता है कि जब आपको पता था कि इंटरव्यू है, तो जल्दी जाने का कार्यक्रम क्यों बनाया? ख़ैर साहब बड़े लोगों की बड़ी बातें !
परंतु सवाल वही रहता है – क्या करप्शन की शुरुआत नियुक्ति से होने लगती है ?
NewsIP के एक्सपर्ट की ऐसी राय है की अगर नियुक्ति में पारदर्शिता होगी तो करप्शन दूर भागेगा।
सभी चाहते हैं कि करप्शन ना हो और पारदर्शिता बनी रहे। लेकिन ऐसा हो पा रहा है ?
पिछले दिनों G 20 शिखर सम्मेलन में NewsIP द्वारा पारदर्शिता के सवाल पर कार्मिक मंत्री ने एक लंबा जवाब दिया, और बताया था कि पारदर्शिता लाने के लिए सरकार ने क्या-क्या कदम उठाए हैं।
यह बहुत अच्छी बात है कि सभी पारदर्शिता चाहते हैं और करप्शन का अंत, परंतु CPSEs के उच्च पदों में चयन के मामले में कमबख़्त CSR एक अहम कारक बनकर चट्टान की तरह खड़ा हुआ है। सरकार किसी की भी हो, दुधारू गाय से दूध सभी को चाहिए।

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