कुल जनसंख्या प्रतिशत के आधे प्रतिशत की सीट आरक्षित की जाएगी-मनोहर लाल
(ख) उप-धारा (7) के लिए निम्नलिखित उप-धारा को प्रतिस्थापित किया जाएगा मूल अधिनियम की धारा 59 की उप-धारा (4) के स्थान पर निम्नलिखित उप-धारा प्रतिस्थापित की जाएगी मूल अधिनियम की धारा 120 की उप-धारा (4) के स्थान पर, निम्नलिखित उप-धारा प्रतिस्थापित की जाएगी
चंडीगढ़, – हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में आज यहाँ हुई मंत्रिमण्डल की बैठक में पंचायती राज संस्थानों में पिछड़ा वर्ग (ए) के राजनीतिक आरक्षण अधिकारों को मंजूरी दे दी गई है। हरियाणा पंचायती राज अधिनियम, 1994 की धारा 9, 59 तथा 120 में संशोधन को मंजूरी दी गई है। यह अध्यादेश अब पंचायती राज (संशोधित) अध्यादेश, 2022 कहलाएगा।
ग्राम पंचायत में अनुशंसित आरक्षण मंत्रिमंडल द्वारा दी गई मंजूरी के अनुसार प्रत्येक ग्राम पंचायत में पंच के पदों के लिए पिछड़ा वर्ग (ए) की कुल जनसंख्या प्रतिशत के आधे प्रतिशत की सीट आरक्षित की जाएगी। यदि डेसिमल वैल्यू 0.5 या अधिक है तो इसे अगले उच्च पूर्णांक में पूर्णांकित किया जाएगा। ऐसे वार्डों में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित वार्डों को छोडक़र पिछड़ा वर्ग के लिए ड्रॉ के माध्यम से अलॉट किया जाएगा। प्रत्येक चुनाव में रोटेशन के आधार पर वार्ड आरक्षित किया जाएगा।
बशर्ते कि यदि पिछड़े वर्ग (ए) की आबादी सभा क्षेत्र की कुल आबादी का दो प्रतिशत या अधिक है तो प्रत्येक ग्राम पंचायत में पिछड़े वर्ग (ए) से संबंधित कम से कम एक पंच होगा। ऐसे वार्डों में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित वार्डों को छोडक़र पिछड़ा वर्ग के लिए ड्रॉ के माध्यम से अलॉट किया जाएगा। प्रत्येक चुनाव में रोटेशन के आधार पर वार्ड आरक्षित किया जाएगा।
इसी प्रकार, एक ब्लॉक में सरपंच के पदों की कुल संख्या का आठ प्रतिशत और यदि डेसिमल वैल्यू 0.5 या अधिक है तो इसे अगले उच्च पूर्णांक में पूर्णांकित करते हुए पिछड़ा वर्ग (ए) के लिए आरक्षित किया जाएगा।
इस उप-धारा के अंतर्गत ग्राम पंचायत में जहां पिछड़े वर्ग (ए) के लिए आरक्षित वार्डों की संख्या अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित वार्डों की संख्या में कुल वार्डों की संख्या के 50 प्रतिशत से अधिक है तो पिछड़ा वर्ग (ए) के लिए आरक्षित वार्डों को इतनी बड़ी संख्या तक सीमित कर दिया जाएगा कि पिछड़ा वर्ग (ए) और अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित कुल वार्ड उस ग्राम पंचायत के कुल वार्डों के 50 प्रतिशत से अधिक न हों।