IGL और पेट्रोनेट की BPCL हिस्सेदारी में नुमालिगड़ रिफ़ाइनरी वाली क्यायद भारत सरकार को दिला सकती है फ़ायदा
नई दिल्ली : पिछले एक अरसे से BPCL को बेचने का मामला हुकूमत के आगे ज़ैरे गौर है, सरकार अपने इस दुधारू उपक्रम की नीलामी लगा कर ज़्यादा से ज़्यादा शर्माया इकट्ठा करना चाहती है जबकि बोली लगाने वाले इस उपक्रम को कोड़ियों के दामों में ख़रीदना चाहते हैं, जानकार ये भी मानते हैं कि पिछले दिनों BPCL की हिस्सेदारी वाली पेट्रोनेट के एक सेवनिवर्त अधिकारी को RIL ने अपने यहाँ महज़ इसी लिए नौकरी पर लगाया था की BPCL की नीलामी में उसे कुछ अहम मद्द मिल सके, क्यूँकि RIL अपने साउदी पार्ट्नर आरामको के साथ मिल कर BPCL को ख़रीदना चाहती थी पर हाल ही में जिन कम्पनियों ने BPCL को ख़रीदने के लिए इक्स्प्रेशन ओफ़ इंटरेस्ट दिखाया है उसमें RIL या SAUDI आरामको का नाम शामिल नहीं है। जबकि वेदांता का नाम शामिल है क़यास ये लगाए जा रहे हैं की वेदांता अपने ओवेरसीज पार्ट्नर के लिए ये बोली लगाने के लिए अपना इंटरेस्ट दिखा रहा है ।
मामले में ताज़ा मोड़ BPCL के निदेशक वित्त के TV इंटर्व्यू ने दिया है जिसमें नगमा निगारों से ख़िताब करते हुए ज़नाब ऐन विजय गोपाल ने ये वाजह कर दिया है कि BPCL पेट्रोनेट और IGL की हिस्सेदारी बेचने का कोई इरादा नहीं रखता है । उनके इस बयान के बाद कई सवालों ने जुंबिश पैदा की है जिसमें नुमालिगड़ रिफ़ाइनरी का वो पैटर्न शामिल है जिससे BPCL ने अलग से ऑल इंडिया, असम सरकार और इंजीनियर इंडिया लिटिमटेड को बेच कर काफ़ी पैसा अर्जित किया था ।
तो अब सवाल ये उठता है कि क्या नुमालिगड़ रिफ़ाइनरी वाला पैटर्न BPCL अधिक से अधिक मुनाफ़ा कमाने के लिए इस्तेमाल करेगा ? या इस पैटर्न को इस्तेमाल करके भारत सरकार और BPCL अधिक पैसा अर्जित करना चाहेंगे ? या फिर IGL और पेट्रोनेट के (EXISTING PROMOTOR) किसी दूसरे के हाथों की कतपुतलि ना बन कर BPCL से अपने हिस्से का स्टाक स्वयं ख़रीद लेंगे ? सेबी के दिशा निर्देशों के मुताबिक़ दस प्रतिशत या उससे ज़्यादा हिस्सेदारी होने पर ब्लॉक डील की बोली अलग से लगती है पर इस ब्लॉक डील का फ़ैसला प्रबंधन के ऊपर निर्भर करता है कि ब्लॉक डील के लिए कितने प्रतिसत स्टाक को ब्लॉक डील का हिस्सा बनाता है ? फ़ैसला BPCL के प्रबंधन कमेटी को लेना है , BPCL के निदेशक वित्त ज़नाब ऐन विजय गोपाल ने मीडिया से ख़िताब करते हुए फ़रमाया था कि BPCL हुकूमत के साथ मिल कर काम करता है हमारा कोई इरादा नहीं है कि हम पेट्रोनेट और IGL की हिस्सेदारी बेचें ऐसा करने से BPCL की बोली पर असर पड़ेगा भारत सरकार और BPCL दोनो इस बात से पूरी तरह से रजामदं है कि ये हिस्सेदारी ना बेची जाए इससे BPCL के मूल्यांकन पर भारी असर पड़ेगा
NEWSIP द्वारा ये पूछे जाने पर कि क्या गोपाल BPCLद्वारा IGL और पेट्रोनेट की बोली अलग से लगवाए जाने की कोई पुष्टि करता है? या कोई इरादा रखता है? जवाब में हमें बताया गया कि अभी इस मामले में कुछ भी कहना मुमकिंन नहीं है
अगर हम पिछले इतिहास की बात करें तो एक्स्पर्ट्स जानकारो ने हमें बताया की इस तरह का एक मामला पहले भी आ चुका है जब नुमालिगड़ रिफ़ाइनरी मामले ने BPCL ने अपनी हिस्सेदारी ऑल इंडिया, असम सरकार और इंजीनियर इंडिया लिटिमटेड को अलग से बेच दी थी।