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OVL प्रबंधन के ढुलमुल रवैये से OVL पर मँडराने लगे हैं ख़तरे के बादल, क्या ख़त्म हो जाएगा OVL का वजूद ? 

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नई दिल्ली : सरकारी तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) की पूर्ण स्वामित्व वाली विदेशी शाखा ओएनजीसी विदेश लिमिटेड (ओवीएल) को दशकों से चली आ रही ईएसजी (पर्यावरण, सामाजिक और शासन) लापरवाही को लेकर गंभीर चिंताओं का सामना करना पड़ रहा है, इन सब के लिये ज़िम्मेदार कोई और नहीं बल्कि OVL में उच्च पदों पर बैठे कुछ गिरोह रूपी अफ़सर की भूमिका सवालों के घेरे में हैं, एक्सपर्ट की राय है कि ये गिरोह रूपी अफ़सर अपना निजी स्वार्थ पूरा करने के लिए किसी हद तक भी जा सकते हैं।

ओएनजीसी के एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने OVL के मोजूदा हालात पर तबसरा करते हुए शदीद मजम्मत की है, अफ़सर ने फ़रमाया तक़रीबन 17 साल क़ब्ल OVL ने एक शानदार शुरुआत की थी जो अब तक कंपनी के लिए एक बड़ी प्रतिष्ठा अर्जित कर सकती थी। लेकिन ओवीएल के ‘हाई-फ़्लायर्स’ ने इस अत्यंत महत्वपूर्ण उत्तरजीविता उपकरण को नज़रअंदाज़ करना चुना, जिसका नतीजा आज हम सब के सामने है, वहीं दूसरी तरफ़ ओएनजीसी के एक अन्य वरिष्ठ अफ़सर ने इस मामले पर अपनी गहरी चिंता ज़ाहिर की है ।

सूत्रों से पता चला है OVL के चेयरमैन एवं ONGC के नव  नियुक्त अध्यक्ष, श्री अरुण सिंह OVL को ले कर काफ़ी परेशान नज़र आ रहे हैं, उन्होंने ने OVL के सामने आने वाली चुनौतियों के कारण होने वाली घोर लापरवाही के बारे में बार-बार अपनी गहरी चिंता व्यक्त की है  पिछले कुछ वर्षों में OVL के उत्पादन में भारी गिरावट दर्ज हुई है जिसकी वजह से OVL के निवेशकों में गहरी निराशा छाई हुई है  एक अधिकारी ने यहाँ तक कह दिया कि क्या हर चीज को माइक्रो-मैनेज करना अकेले चेयरमैन का काम है ?  जबकि कई आंतरिक मुद्दों में स्थिरता का मुद्दा उठाया गया है।

ज्ञात हो कि लगभग एक साल पहले, 19 जुलाई 2022 को, ओएनजीसी विदेश OVL  को एक नया प्रबंध निदेशक मिला था जिनका नाम है  श्री राजर्षि गुप्ता, (एमडी और सीईओ) अपने एक संबोधन में श्री गुप्ता ने कहा था कि “में इस नियुक्ति के लिए मुझ पर अपना विश्वास” जताने के लिए पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के साथ-साथ भारत सरकार को भी धन्यवाद व्यक्त व्यक्त करता हूँ ” ।
वास्तव में सरकार ने विदेश में तेल इक्विटी की तलाश के लिए (ओएनजीसी) की विदेशी शाखा ओएनजीसी विदेश(OVL) का नेतृत्व करने के लिए श्री गुप्ता पर अपना विश्वास जताया था, लेकिन एक साल के वक्फ़े के गुजर जाने के बाद सरकार का विश्वास अब अविश्वास में बदलता हुआ नज़र आ रहा है, विदेश में तेल इक्विटी तो दूर की बात लगातार उत्पादन की कमी और OVL का ख़राब प्रदर्शन सरकार की भी चिंता का विषय बना हुआ है। OVL  कंपनी का प्रदर्शन बद से बदतर हो गया है और उत्पादन में लगातार गिरावट आ रही है जिसकी वजह से OVL को होने वाले लाभ में भी गिरावट बनी हुई है। ये कहना ग़लत ना होगा कि कंपनी तेजी से आगे बढ़ रही है पर विकास,बृद्धी या मुनाफ़े की तरफ़ नहीं बल्कि विनाश घाटे और बर्बादी के कगार की तरफ़ अगर यही हालात रहे तो भविष्य में इसके बहुत भयंकर परिणाम होंगे।
हमारे सूत्रों का कहना है कि  कंपनी न केवल प्रदर्शन में भारी गिरावट से बेपरवाह है, बल्कि वैश्विक निवेशकों की नजरों में भी लगातार अपनी अहमियत खोती जा रही है , और अब तो हालत यहाँ तक पहुँच गये हैं कि विदेशी निवेशक निवेश करने से कतराने लगे हैं बल्कि ये कहना ग़लत ना होगा कि विदेशी निवेशक OVL में निवेश करने से इनकार कर रहे हैं कंपनी को ऋण के खिलाफ अपमानजनक पूर्व शर्तों के साथ पूरा दबाब बना  रहे हैं। 
श्री गुप्ता ने एक साल पहले अपने पहले संदेश में कहा था कि ‘संतुष्टि और हमेशा की तरह व्यवसाय करने का समय चला गया है। ओएनजीसी विदेश के प्रत्येक कर्मचारी को अब यह सुनिश्चित करने के लिए ड्यूटी से ऊपर उठकर योगदान देना होगा कि हम इस कठिन समय से निपट सकें। ‘ लेकिन एक साल बाद, स्पष्ट गिरावट के अलावा कुछ भी नहीं बदला है।
क्या भू-राजनीतिक संकट या ओपेक प्रभाव का कड़ी प्रतिस्पर्धा की दुनिया में खुद को पेश करने के आपके न्यूनतम काम से कोई लेना-देना है? या फिर आपको इतनी साधारण सी बात पर निर्णय लेने की अनुमति नहीं है”, एक निवेशक का मत है कि  इस शर्मनाक स्थिति के लिए श्री गुप्ता को अकेले  ज़िम्मेदार नहीं हैं , क्योंकि सिस्टम में अधिकांश लोग वास्तविक व्यवसाय के बजाय घमंड पर अधिक ध्यान केंद्रित रहे हैं । पिछले कुछ वर्षों में, ओवीएल झुंड अपने आत्मसंतुष्ट नेताओं के नक्शेकदम पर चलते हुए, अपनी स्थिति को बरकरार रखने के लिए झूठ बोलना कठिन हो गया है, और उन्हें उत्कृष्ट विदेशी पोस्टिंग के साथ पुरस्कृत भी किया जाता है।
लॉजिस्टिक्स के एक फाइल मैन ने आरोप लगाया है कि एक वरिष्ठ अधिकारी, जिसका इस्तेमाल अन्य सहयोगियों के खिलाफ कंपनी के शीर्ष बॉस के कानों में जहर घोलने के लिए किया गया था, ने अपने बॉस की सेवानिवृत्ति के तुरंत बाद अपनी विदेशी पोस्टिंग का प्रबंधन किया। उन्होंने कहा, सवाल पूछे गए, लेकिन मुंह बंद कर दिया गया। और वह अकेला नहीं है. अचानक स्थानांतरण और पदोन्नति नीति, विदेशी पोस्टिंग (कई मामलों में, विशेष रूप से मानव संसाधन में कोई अनुभव या योग्यता या डोमेन विशेषज्ञता के बिना) और कोई जवाबदेही कारक संलग्न नहीं होने से अनुपस्थित अधिकारियों को बिना किसी परेशानी के अपने पदों के सभी लाभ लेने के लिए प्रोत्साहित किया गया है।–OVL  की इस दयनीय स्थिति पर हमारी अगली पेशकश जल्दी ही पेश की जाएगी।

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