नई दिल्ली। कोविड-19 के उपचार के लिए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने कोर्डिसेप्स कैप्सूल का परीक्षण शुरू कर दिया है। एम्स नागपुर के अलावा एम्स भोपाल और एमजीएम मेडिकल कॉलेज ने मिलकर इस महत्वपूर्ण कार्य को अपने हाथों में लिया है। एमब्रोसिया फूड फार्म कम्पनी, भोवाली, नैनिताल उत्तराखंड द्वारा इसके लिए परीक्षण किए जा रहे हैं। पहले परीक्षण के परिणाम इस महीने के अंत तक मिल जाएंगे। परीक्षणों के लिए नियामक संस्थाओं से स्वीकृति ले ली गई है। सोमवार को कंपनी के प्रबंधक निदेशक गौरवेन्द्र गंगवार ने कहा कि परीक्षणों के अंतिम परिणाम दिसंबर 2020 के अंत तक मिल जाएंगे। कोर्डिसेप्स एक औषधीय जड़ी बूटी है और कोर्डिसेप्स कैप्सूल रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले और वायरल-रोधी कैप्सूल है। उन्होंने कहा कि इसके उत्पादन के लिए किसानों की सेवाएं ली जा रही हैं, जिससे लाखों लोगों को रोजगार मिलेगा। गंगवार ने कहा कि हम पूरे प्रयास कर रहे हैं और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अपेक्षाओं के अनुरूप कोरोना-मुक्त भारत व आत्म निर्भर भारत बनाने की दिशा में यह हमारा योगदान होगा। कंपनी के अनुसंधान और विकास समन्वय अधिकारी विकास विनोद तिवारी ने कहा कि शुरूआती जांच कार्य डॉ. ओम सिलाकरी के नेतृत्व में पंजाबी विश्वविद्यालय, पटियाला के औषधि निर्माण विज्ञान और औषधि अनुसंधान विभाग द्वारा किया गया था। इस अध्ययन के अच्छे परिणाम निकले, जिसे देखते हुए इस परीक्षण की आवश्यकता महसूस की गई। मेड इनडाईट कम्यूनिकेशन प्रा. लि. ने एक अनुसंधान टीम के साथ मिलकर देश भर में इस परीक्षण की तैयारी शुरू की।
गौरवेन्द्र गंगवार के नेतृत्व में शैलेन्द्र सिंह और विकास विनोद तिवारी की टीम को कोविड-19 के उपचार में कोर्डिसेप्स कैप्सूल के ठोस और उपयोगी परिणाम मिलने की पूरी आशा है। कोविड-19 के उपचार के इस परीक्षण से बुनियादी विज्ञानों और परम्परागत चिकित्सा के अनुसंधान कर्ताओं को एक साझा मंच मिल जाएगा। उन्होंने कहा कि यह देश के लिए ही नहीं, अपितु दुनिया के लिए एक बहुत बड़ा अवसर है, जो वैज्ञानिक आधार पर परम्परागत चिकित्सा और आधुनिक चिकित्सा को जोड़ता है।