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मोदी सरकार और जब खुद पर आती है तो चीन के बैंक से पैसे लेते हैं-कांग्रेस

नई दिल्ली :  कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता पावन खेड़ा ने कहा है कि  पिछले 24 घंटों में ये ऐसे तथ्य हैं, जो मोदी सरकार का असली चेहरा और ढोंग उजागर करते हैं, एक्सपोज करते हैं। विशेष तौर पर लद्दाख की सीमा पर भारत और चीन का जो तनाव चल रहा है, उस तनाव पर अलग-अलग जुबान में हमारी सरकार के अलग-अलग नुमाइंदे बात करते हैं, कहते कुछ हैं, करते कुछ और हैं। ये सब बातें इन दो तथ्यों में मैं आपके सामने रखना चाहता हूँ।

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कल सरकार ने ये स्वीकार किया संसद में कि चीन स्थित AIIB (Asian Infrastructure Investment Bank) से भारत सरकार ने 8 मई को 500 मिलियन डॉलर के लोन की पहली इंस्टोलमेंट ली और 19 जून को 750 मिलियन डॉलर की दूसरी किश्त ली। 8 मई को आप में से कई साथी लगातार रिपोर्ट कर रहे थे कि किस तरह से चीन हमारी सीमाओं में घुसपैठ कर रहा है, 19 जून तक आते-आते तो हमारे 20 वीर जवान शहीद भी हो चुके थे। य़े वही तारीख है 19 जून, जिसको मैं हमारे देश के इतिहास में काला दिन कहूंगा क्योंकि पहली बार हमारे एक प्रधानमंत्री ने देश के साथ झूठ बोला, ये वहीं तारीख है 19 जून, ना केवल चीन को 19 तारीख को प्रधानमंत्री ने क्लीन चिट दी, बल्कि 19 जून को चीन स्थित, बीजिंग स्थित, एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इनवेस्टमेंट बैंक से पैसे भी लिए। ये इस सरकार का ढोंग आपके सामने है कि किस तरह से आप एक तरफ तो कहते हैं कि हम आर्थिक रुप से चीन से रिश्ते समाप्त करना चाहते हैं, ट्रैडर एसोसिएशन को कहते हैं कि चीन का सामान बॉयकोट करो, आम आदमी से सारी उम्मीदें हैं मोदी सरकार और जब खुद पर आती है तो चीन के बैंक से पैसे लेते हैं। ये वो बैंक है जिसमें सबसे बड़ा शेयर होल्डर चीन है। इस बैंक की स्थापना जनवरी 2016 में हुई थी एआईआईबी, आप सबने भी रिपोर्ट किया था। बीजिंग में हुई थी 103 इसमें सदस्य हैं। 26.6 प्रतिशत वोटिंग शेयर सबसे ज्यादा चीन का है। तो जयशंकर जी जब कहते हैं कि ‘Business as usual नहीं हो सकता अब चीन के साथ’, हम उनसे ये जानना चाहते हैं कि क्या आज भी वो इस बात पर अडिग हैं और अगर वो इस बात पर अडिग हैं तो ये Business as usual मोदी जी क्यों कर रहे हैं चीन के साथ, क्या दवाब है मोदी जी पर? क्या यही दवाब है जिसके चलते आपने 19 जून को चीन को क्लीन चिट दिया? क्या यही दबाव है जिसके चलते आप चीन के बैंक से पैसे लिए जा रहे हैं? क्या यही दबाव है जिसकी वजह से आप पीएम केयर में चीन की कंपनियों से पैसा लेते हैं और उजागर भी करना पसंद नहीं करते?

दूसरी, चौंकाने वाली बात आई, वो आज एमओएस श्री नित्यानंद राय ने जो उत्तर दिया घुसपैठ को लेकर, पाकिस्तान और चीन द्वारा घुसपैठ को लेकर। उसमें एक लाइन का उत्तर है चीन को लेकर कि पिछले 6 महीने में चीन की तरफ से भारत में कोई घुसपैठ नहीं हुई। इससे ज्यादा चौंकाने वाली बात मैंने और आप में से किसी ने भी नहीं सुनी होगी। पहले तो प्रधानमंत्री आकर झूठ बोलते हैं, फिर रक्षा मंत्रालय की वेबसाइट जो कि सच निकाल देती है, अगस्त की 7 तारीख को, उसको ह़टा दिया जाता है, उस वेबसाइट में स्पष्ट तौर से लिखा था कि कहाँ-कहाँ किन-किन प्वाइंट पर चीन ने घुसपैठ की है। कोई दबाव आया, वेबसाइट से वो उड़ा दिया गया। दबाव प्रधानमंत्री का आया होगा, हम ये मानते हैं, प्रधानमंत्री पर किसका दबाव है? हम ये जानना चाहते हैं।

ये जो दो टिप्पणियाँ हुई, एक तो प्रधानमंत्री 19 जून की टिप्पणी, जिसके बारे में हम बार-बार आपके सामने आकर चर्चा करते हैं, क्योंकि देश का सवाल है, देश की वीर सेना का सवाल है। दूसरा, आज एमओएस होम की टिप्पणी का उत्तर एक अनस्टार्ड क्वेश्चन पर कि कोई घुसपैठ चीन से नहीं हुई। चीन ये दोनों स्टेटमेंट पूरी दुनिया में लेकर घूमता है, आज भी घूम रहा है कि देखिए भारत की सरकार कह रही है कि हमने घुसपैठ नहीं की, हम अपने ही इलाके में हैं। तो क्या गलवान में जो मुठभेड़ हुई थी जहाँ हमारे 20 जवान मारे गए थे, वो चीन के इलाके में हुई थी? हम विश्व में क्या बताना चाहते हैं कि हम चीन में घुसपैठ कर रहे थे ? और हमारा प्रधानमंत्री और हमारी सरकार के आला मंत्री विश्व में ये बात कहना चाह रहे है कि चीन में घुसपैठ भारत ने की थी ? और हमारे सैनिक सीमा के उस ओर जाकर शहीद हुए थे? ये क्या तरीका है? आप चीन को भारत के खिलाफ हथियार दे रहे हैं जिसे वो पूरे विश्व मे इस्तेमाल करेगा, 19 जून के बाद से कर रहा है और पूरे विश्व में हमारी हंसी उड़ रही है।

हम बार-बार एक प्रश्न पूछते है कि क्या 1 अप्रैल 2020 से पहले जहाँ हमारी सेना, हमारी आईटीबीपी पेट्रोलिंग कर रही थी, रक्षा कर रही थी, गश्त लगा रही थी, पहरा दे रही थी, क्या आज भी वो कर पा रही है, वो फिंगर 8 का इलाका हो, पैंगोंग का इलाका हो, तमाम वो इलाके जहाँ हम अप्रैल 2020 से पहले पेट्रोलिंग करते थे, क्या आज कर पा रहे हैं या नहीं? कल उम्मीद थी कि डिबेट होती, जिसमें रक्षा मंत्री इस बात का जवाब देते, लेकिन उन्होंने अब हमें समझ आता है कि वो डिबेट क्यों नहीं करना चाहते, क्योंकि इन तमाम सवालों का जवाब देना पड़ता-
पहला, नंबर एक प्रधानमंत्री जी ने झूठ क्यों बोला 19 जून को?
दूसरा, क्या पेट्रोलिंग हो पा रही है जो अप्रैल 2020 से पहले तक होती थी?
तीसरा, आप क्यों चीन को क्लीन चिट पर क्लीन चिट दिए जा रहे हैं? क्या दबाव है आप पर?

प्रधानमंत्री क्या, एक झूठ छुपाने के लिए पूरी सरकार बार-बार आकर झूठ बोलती है और अगर सरकार का कोई मंत्री सच भी बोलने की कोशिश करता है तो उसको वापस से चुप करा दिया जाता है। आपको याद होगा कि रक्षा मंत्री ने एक बडी़ ईमानदारी से, स्टीक तौर पर कहा कि प्रयास जारी है, सफल होंगे या नहीं, ये हमें नहीं मालूम। रक्षा मंत्री की कोई मजबूरी रही होगी, he is a respectable man, अगर वो भी दबाव में आकर झूठ बोलने के लिए मजबूर हो गए हैं तो आप सोचिए दबाव किस पर और कितना गहरा एवं कितना मजबूत दबाव होगा।

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