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महामारी में योगी जी ने लूट का उदाहरण पेश किया है – सौरभ भारद्वाज

गांधी परिवार और कांग्रेस ने 60 साल तक देश को लूटा लेकिन योगी सरकार ने एक विपत्ति में ही गांधी परिवार को भ्रष्टाचार के मामले में पीछे छोड़ दिया, यूपी के 65 जिलों के एक लाख ग्राम पंचायतों में कोरोना किट खरीद में करोड़ों का भ्रष्टाचार हुआ- सौरभ भारद्वाज - मार्केट में यह कोरोना किट (आँक्सीमीटर, थर्मामीटर, सैनिटाइजर और मास्क) 2700 से 2800 रुपये में मिल सकती है, लेकिन इसे 300 से 500 प्रतिशत अधिक कीमत में खरीदा गया- सौरभ भारद्वाज - क्या इसमें सीएम योगी की मिलीभगत नहीं है? एक मुख्यमंत्री जो रोज सुबह 11 बजे टीम-11 की बैठक करता है, उसको कैसे पता नहीं चला कि प्रदेश में इतने बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हो रहा है- सौरभ भारद्वाज - इस भ्रष्टाचार में पंचायतें शामिल नहीं हैं, बल्कि भाजपा सरकार के शीर्ष अधिकारी शामिल हैं- सौरभ भारद्वाज - बीजेपी के ही विधायक देवमणि द्विवेदी और भाजपा नेता रामपाल सिंह पुंडीर ने महंगे दामों पर सामग्री खरीदे जाने की शिकायत सीएम योगी आदित्यनाथ से की है, इसके बाद भी अधिक कीमतों का भुगतान किया जाता रहा- सौरभ भारद्वाज - जब मुख्यमंत्री पर ही भ्रष्टाचार को संरक्षण देने का आरोप लग रहे, तो उनके द्वारा गठित तीन अधिकारियों की कमेटी निष्पक्ष जांच कैसे कर सकती है, इसकी स्वतंत्र जांच एजेंसी से निष्पक्ष जांच कराई जाए- सौरभ भारद्वाज

 उत्तर प्रदेश के करीब 65 जिलों के एक लाख ग्राम पंचायतों में कोरोना किट की खरीद में करोड़ों रुपए का भ्रष्टाचार हुआ है। मार्केट में यह कोरोना किट (आक्सीमीटर, थर्मामीटर, सैनिटाइजर और मास्क) 2700 से 2800 रुपये में मिल सकती है, लेकिन इसे 300 से 500 प्रतिशत अधिक कीमत में खरीदा गया। सौरभ भारद्वाज ने सवाल किया है कि क्या इसमें सीएम योगी की मिलीभगत नहीं है। एक मुख्यमंत्री जो रोज सुबह 11 बजे टीम-11 की बैठक करता है, उसको पता ही नहीं चला कि प्रदेश में इतने बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हो रहा है। सौरभ भारद्वाज ने आगे कहा कि गांधी परिवार और कांग्रेस पर आरोप है कि उन्होंने 60 साल तक देश को लूटा, मगर योगी जी ने तो इस विपत्ति के समय में गांधी परिवार को पीछे छोड़ दिया। इस भ्रष्टाचार में पंचायतें शामिल नहीं हैं, बल्कि भाजपा सरकार के शीर्ष अधिकारी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि बीजेपी के ही विधायक देवमणि द्विवेदी और भाजपा नेता रामपाल सिंह पुंडीर ने महंगे दामों पर सामग्री खरीदे जाने की शिकायत सीएम योगी आदित्यनाथ से की है। इसके बाद भी अधिक कीमतों का भुगतान किया जाता रहा। सौरभ भारद्वाज ने कहा कि जब मुख्यमंत्री पर स्वयं भ्रष्टाचार को संरक्षण देने का आरोप लग रहे हैं, तो उनके द्वारा गठित तीन अधिकारियों की कमेटी इसकी निष्पक्ष जांच कैसे कर सकती है। आम आदमी पार्टी मंाग करती है कि इसकी निष्पक्ष जांच करने के लिए किसी स्वतंत्र जांच एजेंसी को जिम्मेदारी सौंपी जाए।  भारत में कोरोना तेजी से बढ़ रहा है। लगभग 90 हजार कोरोना के केस प्रतिदिन निकल कर आ रहे हैं। इस महामारी के काल में हमने देखा कि सभी लोग किसी न किसी प्रकार से एक-दूसरे की मदद करने की कोशिश कर रहे हैं। कोई खाना बांटकर लोगों की मदद कर रहा है, कोई मास्क और सैनिटाइजर बांटकर लोगों की मदद कर रहा है, कोई अपने यहां काम करने वाले लोगों को बिना काम किए महीने पर वेतन समय से देाकर उनकी मदद कर रहा है। डॉक्टर्स और अस्पताल के अन्य कर्मचारी अपनी जान पर खेलकर कोरोना के मरीजों को बचाने की कोशिश कर रहे। जहां हर व्यक्ति कोशिश कर रहा है कि किसी न किसी तरह से नेक काम किया जाए, वही उत्तर प्रदेश से जो खबरें सामने आ रही हैं, वह हैरान कर देने वाली और दिल दहला देने वाली हैं।

जानकारी के मुताबिक अब तक लगभग उत्तर प्रदेश के 65 जिलों के लगभग एक लाख गांव ऐसे हैं, जहां पर बड़े स्तर पर कोरोना जैसी महामारी के काल में भी भ्रष्टाचार किया गया है। उत्तर प्रदेश प्रशासन की ओर से हर ग्राम पंचायत के लिए आदेश जारी किया गया था कि एक कोरोना किट हर ग्राम पंचायत को उपलब्ध कराई जाएगी। इस किट के अंदर एक ऑक्सीमीटर और एक इंफ्रारेड थर्मोमीटर, 5 लीटर सैनिटाइजर और लगभग 500 मास्क आदि होंगे। उन्होंने बताया कि इन सभी सामानों की कीमत सामान्य तौर पर 2700 से 2800 रुपए बाजार में आंकी जाती है। परंतु हैरान कर देने वाली बात यह है कि इन्हीं वस्तुओं को उत्तर प्रदेश में कहीं 500 प्रतिशत कहीं 400 प्रतिशत और कहीं 300 प्रतिशत अधिक कीमतों पर खरीद कर बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार किया जा रहा है। इससे भी बड़ी हैरान करने वाली बात यह है कि यह भ्रष्टाचार पंचायत के स्तर पर नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश सरकार में उच्च स्तर पर किया जा रहा है। यह सभी सामग्री उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा इतने महंगे दामों पर खरीद कर पंचायतों को दी गई है। भ्रष्टाचार केवल यहीं तक सीमित नहीं है। अब उत्तर प्रदेश सरकार के आला अधिकारियों द्वारा इन महंगे दामों पर खरीदी गई सामग्री के लिए जबर दस्ती ग्राम पंचायतों से 10000, 12000 और 15000 रुपए तक वसूले जा रहे हैं। यह बड़ा ही हास्यास्पद है कि जिस भ्रष्टाचार के लिए खुद मुख्यमंत्री पर आरोप लग रहे हैं, उस भ्रष्टाचार की जांच करने के लिए खुद मुख्यमंत्री ने ही 3 लोगों की एक कमेटी गठित कर दी। यह सोचने वाली बात है, कि जिस मुख्यमंत्री ने इन तीन अधिकारियों की कमेटी गठित की है, वह अधिकारी जो उस मुख्यमंत्री के प्रति जवाबदेह हैं, वह कैसे मुख्यमंत्री के द्वारा ही किए गए इस भ्रष्टाचार की निष्पक्ष जांच कर सकेंगे। मीडिया के माध्यम से सौरभ भारद्वाज ने मांग की, कि इस भ्रष्टाचार की निष्पक्ष जांच के लिए एक स्वतंत्र संस्थान को इसकी जांच की जिम्मेदारी दी जानी चाहिए।

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