नई दिल्ली : कलकत्ता में जो हुआ उसकी जितनी निंदा की जाये वो कम है NewsIP ने भी इस घटना पर एक विशेष रिपोर्ट प्रसारित की है।https://www.newsip.in/the-spectre-of-night-duty-in-hospitals/ लेकिन वहीं दूसरी तरफ़ एक मार्मिक घटना दिल्ली के राजीव गांधी अस्पताल की सामने आई है, एक मासूम बच्चा अपने पूरे परिवार के साथ अपने पापा के डायलिसिस कराने के लिए डॉक्टरों को उम्मीद भरी निगाहों से देख रहा है, ऊपर से ले कर नीचे तक चक्कर काट काट कर थक जाने के बाद अब इस उम्मीद में बैठा है की कब नीचे के ईश्वर रूपी डॉक्टर उसके पापा का डायलासिस करेंगे और कब उसके पापा की आँख खुले और पूरा परिवार उनसे कम से कम आख़िरी छनों में ही कुछ तो बात कर सके।
पूरा मामला GTB हॉस्पिटल के मैनेजमेंट के अंतर्गत आने वाले राजीव गांधी हस्पताल का है जहाँ RICU में बेड नंबर 7 पर बेहोशी की हालत में एक मरीज का डायलिसिस होना है, मरीज को जो डॉक्टर देख रहे हैं उनका कहना है कि जब तक डायलिस नहीं होगा हम आगे कुछ नहीं कर सकते, जब उनसे कहा गया कि आप डालिसिस क्यों नहीं करवाते डॉक्टर ने कहा अभी हड़ताल चल रही है हम कुछ नहीं कर सकते, डायलसिस के डॉक्टर अलग हैं, पिछले कई दिनों से मासूम परिवार ईश्वर रूपी डॉक्टर्स फरियाद लगा रहा है पर नतीज़ा कुछ नहीं है। राजीव गांधी हस्पताल में डायलासिस करने कि जिम्मेदारी डॉक्टर अजीत के कांधों पर है।
ये ठीक है की कलकत्ता की घटना के लिए डॉक्टर्स जो कर रहे हैं वो उन्हें करना चाहियें पर जो भी सीनियर्स हैं उन्हें इस बात को भी ध्यान में रखना चाहियें कि उन के किसी कदम की वजह से किसी परिवार में कोई मातम जैसे हालात पैदा ना हों।