पूर्वी दिल्ली: ०७ जनवरी दिलशाद गार्डन नगर निगम वार्ड के अंतर्गत आने वाली दिलशाद कॉलोनी ABDE ब्लॉक में स्थित RWA का प्रांगण आजकल चर्चाओं का विषय बना हुआ है। मिनटन खेल प्रेमियों का कहना है कि RWA कार्यालय के सामने खाली पड़े जमीन के एक टुकड़े पर मिनटन ग्राउंड बनाया जाए। लेकिन कुछ बुद्धिजीवियों का मत है कि इस जगह पर खेल के चक्कर में कई बार झगड़े हो चुके हैं। वे कहते हैं कि बाहरी लोग यहां आकर जमावड़ा लगाते हैं और कॉलोनी के बाहर के बच्चे यहां आकर गाली-गलौज, मार-पीट और शर्त लगाकर खेलते हैं। इससे कई बार बड़े हादसे होने का खतरा बना रहता है। कई बार तो स्थिति नियंत्रण से बाहर हो जाती है और RWA को पुलिस की मदद लेनी पड़ती है। इन बुद्धिजीवियों का कहना है कि इस जगह को RWA के परागणन के नाम पर विकसित करके खाली छोड़ दिया जाए, जिससे पार्क में आने-जाने वाले महिलाएं, बुजुर्ग, बच्चे और बूढ़े इस पथ का आसानी से इस्तेमाल कर सकें। उनका कहना है कि अगर मिनटन खेलना ही है तो सरकार ने स्पोर्ट कॉम्प्लेक्स बनाए हुए हैं, मिनटन प्रेमियों को वहां जाकर मिनटन खेलना चाहिए।
मिनटन खेल ग्राउंड बनाने के लिए दिलशाद गार्डन नगर निगम पार्षद की सिफारिश पर सांसद निधि से कुछ लाख रुपये की मंजूरी मिलने के बाद काम शुरू कर दिया गया था। लेकिन अब इस काम पर रोक लग गई है, जिसकी सूचना समाचार पत्र को मिली है। रोक का कारण दो स्थानीय नेताओं के बीच तकरार बताया जा रहा है।
हम अपने पाठकों को इस कॉलोनी और इस खाली पड़े ग्राउंड के इतिहास से रू-ब-रू करवाते हैं।
यह कॉलोनी काफी बड़ी है, लेकिन इसे दो हिस्सों में बांट दिया गया है। इस कॉलोनी के विकास की लड़ाई लड़ने के लिए RWA ने सन 1998 में कोर्ट में याचिका दायर की थी। वजह थी कि कॉलोनी में भारी जनसंख्या होने के बावजूद भी कॉलोनी में रहने वालों को मौलिक सुविधाएं नहीं मिल रही थीं। उस समय RWA की अगुवाई स्वर्गीय श्री गंजू लाल जी ने की थी।
समाचार पत्र को मिली जानकारी के अनुसार, दिल्ली के एक कोर्ट में बड़ी संख्या में लोगों द्वारा रजिस्टर्ड डीड पर खरीदी गई जमीन पर मौलिक सुविधाएं न देने और इलाके के विकास की अनदेखी करने का एक मामला कोर्ट की पटल पर रखा गया । इस वाद में MCD, दिल्ली सरकार, DDA, DLF को RWA ने पक्षी बनाया था ।
कोर्ट में सभी पक्षों ने अपनी-अपनी दलीलें पेश कीं।
DLF ने कहा कि उनका काम केवल कॉलोनी काटना था, जो वो कर चुके हैं। उन्होंने कॉलोनी में जो भी सुविधाएं देनी थीं, वो दे दी हैं। बाकी का काम उनका नहीं है।
DDA ने कहा कि अब MCD वजूद में आ चुका है और वो यह कॉलोनी MCD को हस्तांतरित कर रहे हैं। इसलिए MCD की जिम्मेदारी है इसमें विकास कार्यों को कराना।
MCD ने कहा कि MCD अभी नया-नया बना है और अभी वो कुछ कहने की स्थिति में नहीं हैं। लेकिन उन्हें ऐसा लगता है कि जो बुनियादी कार्य DLF को कराने चाहिए थे, वो नहीं हुए हैं।
दिल्ली सरकार ने कहा कि वो मामले की गंभीरता को समझते हैं और दिल्ली के मुख्यमंत्री कार्यालय में एक बैठक बुलाई गई, जिसमें RWA के अधिकारी भी शामिल थे। वहां यह तय हुआ कि अगर कॉलोनी की RWA डेफिसिंसी चार्ज के रूप में लगभग ३००००००० करोड़ रुपये देती है, तो वो भागीदारी योजना के तहत इस कॉलोनी का विकास करने के लिए कुछ कदम उठाने को तैयार हैं।
RWA ने घर-घर जाकर सभी कॉलोनी के निवासियों से चंदा इकट्ठा किया और लगभग वर्ष २००३ में ये पैसे जमा करा दिए गए। उसके बाद कॉलोनी का प्लान लेआउट सरकार को सौंप दिया गया।
कॉलोनी के एक पुराने जानकार ने बताया कि उस प्लान लेआउट बनाने से पहले, RWA ने कॉलोनाइजर से अनुरोध किया था कि प्लॉट नंबर १५९, १६०, १६१ को पार्क में जाने के लिए खाली छोड़ दिया जाए। कॉलोनाइजर ने RWA की इस बात पर सहमति जताई और इन कॉलोनी के इन प्लॉटों को खाली छोड़ दिया गया। आज भी पूरी कॉलोनी में आपको ए ब्लॉक में इन प्लॉटों के नंबर नहीं मिलेंगे।
उन्हीं प्लॉटों का एक हिस्सा RWA के सामने खाली पड़ा ये प्रांगण है, जो उस समय के प्लान लेआउट में RWA के प्रांगण के नाम से सरकारी अभिलेखों में दर्ज होना बताया गया है।
मिनटन खेल ग्राउंड बनाने के मामले में RWA के महासचिव ने अपना दुख बयान करते हुए कहा कि उन्होंने बड़ी मुश्किल से कॉलोनी के विकास के लिए फंड मंजूर कराया था, लेकिन उसका रुकजाना और विकास न होना उनके लिए एक चिंता का विषय है।
RWA के एक उच्च सूत्र ने बताया कि RWA ने मिनटन ग्राउंड के शिलान्यास के समय यह इच्छा जाहिर की थी कि इस कार्य को शुरू करने से पहले कार्य का प्लान लेआउट RWA के साथ साझा किया जाए, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और प्लान लेआउट के बिना ही JE ने यह कार्य शुरू कर दिया, जबकि RWA के खजांची लीलू राम ने कहा कि वर्ड ऑर्डर RWA के ग्रुप में शेयर किया गया था।
समाचार पत्र ने सुप्रीम कोर्ट के एक वरिष्ठ कानूनविद से इस मामले को समझने की कोशिश की। उन्होंने अपनी राय देते हुए कहा कि वो सांसद निधि का पैसा कहां लगाना चाहिए और कहां नहीं, इस पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे। लेकिन वो यह ज़रूर कहेंगे कि इलाके के जूनियर इंजीनियर की जिम्मेदारी है कि निधि के पैसे जिस जगह इस्तेमाल किए जा रहे हैं, वो उस जगह के बारे में सरकारी अभिलेखों में दर्ज मानचित्रों को ध्यान में रखकर कार्य को निष्पादित करें।
हमारे राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि अगर इस मामले को सही तरह से नहीं निपटाया गया और महज़ चंद लोगों के लिए पार्क का रास्ता ब्लॉक किया गया तो इस का ख़ामियाज़ा आने वाले चुनाव में सांसद मनोज तिवारी को भुगतना पड़ सकता है , क्योंकि उन्हीं की सांसद निधि से इस प्रांगण को मिनटन ग्राउंड में बदलने के लिए पैसा दिया जा रहा है ।