Message here

बदलती दिनचर्या से स्पर्म काउंट में आ रही गिरावट -चिंता का विषय है यह गिरावट

नई दिल्ली। इन दिनों स्पर्म काउंट में तेजी से गिरावट आ रही है जोकि चिंता का विषय है और यह गिरावट वैश्विक तौर पर है। एम्स के डॉक्टरों के मुताबिक, 30 साल पहले एक भारतीय पुरुष में एक मिलीलीटर सीमन में 60 मिलियन स्पर्म होते थे, लेकिन अब यह घटकर 20 मिलियन पर मिलीलीटर जा पहुंचे हैं। इसके लिए कई चीज़ें ज़िम्मेदार हैं, जिनमें से एक बढ़ता वायु प्रदूषण भी है।

NHPC Display

इसके अलावा खतरनाक केमिकल्स और पेस्टिसाइड्स का बढ़ता इस्तेमाल भी घटते स्पर्म काउंट के लिए ज़िम्मेदार हैं, लेकिन सबसे ज़्यादा असर बदलते लाइफस्टाइल का है। स्मोकिंग, टेंशन, गैजट्स का इस्तेमाल, घंटों तक काम करना और मोटापा जैसे कुछ ऐसे फैक्टर हैं, जिनकी वजह से स्पर्म काउंट न सिर्फ घट रहा है, बल्कि स्पर्म की क्वॉलिटी और उसके फंक्शन पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। बेंगलुरू के फोर्टिस हॉस्पिटल की कंसल्टेंट गाइनिकॉलजिस्ट मनीषा सिंह कहती मरीज़ों को स्मोकिंग कम करने और शराब कम पीने की सलाह देती हैं। हॉर्मोनल प्रॉब्लम्स की वजह से पुरुषों में रीप्रडक्टिव फंक्शन पर फर्क पड़ता है।

कुछ मामलों में टेस्टीज़ में स्पर्म मौजूद होते हैं, लेकिन ब्लॉकेज की वजह से वे पुरुषों के लिंग तक पहुंचने में असमर्थ होते हैं, जबकि कुछ मामलों में डॉक्टर टेस्टीज़ से स्पर्म निकालकर अंडे के फ़र्टिलाइज़ेशन के लिए इस्तेमाल करते हैं। 20 मिलियन पर मिलीलीटर स्पर्म काउंट को कंसीव करने के लिए नॉर्मल माना जाता है, लेकिन कई बार तकनीकी सहायता से कुछ मिलियन स्पर्म्स से ही बेबी कंसीव किया जा सकता है। बदलती लाइफस्टाइल और खान-पान के तौर-तरीकों से आपकी फर्टिलिटी पर बुरा फर्क पड़ रहा है।

error: Content is protected !!