नई दिल्ली। श्री अरविन्द महाविद्यालय (सांध्य ) के तत्वाधान में सातवां आईपीसी इंटरनेशनल एजूकेशन मेला 2019 का आयोजन किया गया। इस मेला का आयोजन ग्लोबल विज़न को ध्यान में रखते हुए किया गया जहाँ करीब एक हजार छात्रों को एक छत के नीचे विदेश में पढाई के अवसर और चुनौतियों की सारी जानकारी दी गई। इस मेले में विद्यार्थीं अपनी इच्छा और जरुरत के अनुरूप स्टडी के लिए विदेशों में कई जगहों की तलाश आसानी से कर पाते हैं । इस मेले से प्राप्त जानकारी के परिणामस्वरूप प्रतिवर्ष हज़ारों की संख्या में विद्यार्थी विभिन्न पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए विदेश का रुख करते हैं। इन पाठ्यक्रमों में लॉ व् मनोविज्ञान विद्यार्थियों के बीच ज्यादा पॉपुलर होता है।
श्री अरविन्द महाविद्यालय (सांध्य ) की प्रधानाचार्या डॉ. नमिता राजपूत ने कहा कि इस मेले में हम विद्यार्थियों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा सम्बन्धी हर जानकारी मुहैया कराने की कोशिश करतें हैं ताकि विद्यार्थी के संज्ञान में कोई शंका व् समस्या न हो और वह उचित विकल्प का चयन कर सके। डॉ. राजपूत ने कहा कि एक विदेशी देश में अध्ययन करने के लिए भारत से बाहर जाने से सांस्कृतिक अनुभवों के संचयन के साथ साथ अद्वितीय रीति-रिवाज़, नई भाषाएँ और अपरिचित परंपराएँ की जानकारी और महत्ता का पता चलता है। जब आप विदेश में अध्ययन करते हैं, तो अपने नए परिवेश का हिस्सा बन जाते हैं, नए रीति-रिवाजों को सीखने और समस्याओं को हल करने के नए तरीकों की खोज करते हुए अपनी अनूठी पृष्ठभूमि और विचारों का योगदान देते हैं परिणामस्वरूप विद्यार्थी खुले विचारों के माध्यम से दुनिया को देखने से सांस्कृतिक रूप से जागरूक वैश्विक नागरिक बन जाते हैं। जब विदेशों में पढ़ाई की बात की जाती है तो छात्रों के समक्ष एक अहम सवाल यह होता है कि हम कैसे जाने कि कौन सा कॉलेज तथा कौन सा कोर्स हमारे लिए सबसे ज्यादा उपयुक्त रहेगा? यूँ तो इस प्रश्न का कोई सरल और निश्चित उत्तर नहीं है। सही कोर्स और कॉलेज हर स्टूडेंट के लिए उनकी प्राथमिकताओं के आधार पर अलग अलग हो सकता है। मनोविज्ञान , ला , इंजीनियरिंग, मेडिकल, मैनेजमेंट, होटल मैनेजमेंट, आईटी, फाइन आर्ट, आर्किटेक्ट वकालत आदि का ज्ञान लेने के लिए विदेशों का रुख करने वाले विद्यार्थियों की संख्या बढ़ती जा रही है। इसका कारण वहाँ की शिक्षा प्रणाली में थ्यौरी के अलावा प्रेक्टिकल नॉलेज का प्रमुखता से समावेश होना है। डॉ. राजपूत ने आगे कहा कि, विदेश में पढ़ने की ख्वाहिश रखने वाले विद्यार्थियों के मन में अक्सर यह बात उठती है कि विदेश के विश्वविद्यालय में प्रवेश किस तरह पाएँ। कुछ ऐसी परीक्षाएँ जिनमें पास होकर विद्यार्थी विदेश के हावर्ड, ऑक्सफोर्ड, एडिनबर्ग, ऑस्ट्रेलियन कैथोलिक, स्कूल ऑफ ओरिएंटल एंड अफ्रीकन जैसी यूनिवर्सिटीज में प्रवेश ले सकते हैं और अपना आने वाला कल सँवार सकते हैं। टॉफैल, सैट जैसी परीक्षाओं द्वारा विदेशों के विश्वविद्यालयों में प्रवेश लिया जा सकता है। पैसे की भी कोई ज्यादा मुश्किल नहीं है। आजकल लगभग सभी बैंक आसान शर्तों पर शैक्षिक ऋण देते हैं। डॉ. नमिता राजपूत ने कहा कि यह अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा मेला मुख्य शिक्षा प्रदर्शनी बन गया है, जहां हजारों गंभीर और प्रेरित छात्र और उनके परिवार दुनिया भर के प्रतिष्ठित शिक्षा प्रदाताओं के साथ मिलते हैं।