नई दिल्ली: दुनिया की सबसे चर्चित महिला राजनेताओं में से एक, देश की पूर्व विदेश मंत्री, लोकप्रिय कुशल राजनेता, प्रखर वक्ता, मृदुभाषी सुषमा स्वराज का 6 अगस्त 2019 दिन मंगलवार की रात को दिल का दौरा पड़ने के बाद दिल्ली के ऑल इंडिया इंस्टीट्यू ऑफ मेडिकल साइंसेज (AIIMS) में 67 साल की उम्र में निधन हो गया. हालांकि सुषमा स्वराज काफी लम्बे वक्त से बीमार चल रही थीं. वो भाजपा की एक ऐसी कद्दावर नेता थी जो पार्टी के नेताओं व कार्यकर्ताओं साथ-साथ देश के आमजनमानस में बहुत लोकप्रिय थी. सुषमा स्वराज एक बहुत ओजस्वी मुखर वक्ता के अलावा कुशल राजनेता थी. सुषमा स्वराज एक ऐसी भारतीय महिला नेता रही है जो टि्वटर पर 1.31 करोड़ फॉलोअर्स के साथ भारत के साथ-साथ दुनिया की सबसे चर्चित महिला नेताओं में से एक थी. सुषमा स्वराज के राजनीतिक जीवन पर नजर डालें तो उनका राजनैतिक सफर बहुत ही यादगार व शानदार रहा है. हम सभी सुषमा स्वराज को उनकी व्यवहार कुशलता, नेतृत्व क्षमता, कारगर कार्यशैली के लिए हमेशा याद करेंगे, तो आइए एक नज़र डालते है सुषमा स्वराज के जीवन के महत्वपूर्ण पहलूओं पर.
सुषमा स्वराज का शुरुआती जीवन और शिक्षा :-
सुषमा स्वराज का जन्म 14 फरवरी 1952 को हरियाणा के अम्बाला में श्री हरदेव शर्मा तथा श्रीमती लक्ष्मी देवी के घर हुआ था. उनके पिता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख सदस्य थे. उनके पूर्वज मूल रूप से पाकिस्तान के लाहौर के धरमपुरा क्षेत्र के निवासी थे.
सुषमा ने अम्बाला के सनातन धर्म कॉलेज से संस्कृत तथा राजनीति विज्ञान में स्नातक किया था. वर्ष 1970 में उन्हें अपने कालेज में सर्वश्रेष्ठ छात्रा के सम्मान से सम्मानित भी किया गया था. सुषमा ने पंजाब विश्वविद्यालय, चण्डीगढ़ से विधि की शिक्षा प्राप्त की, कॉलेज के दिनों में सुषमा ने लगातार तीन वर्षों तक एनसीसी की सर्वश्रेष्ठ कैडेट और हरियाणा सरकार के भाषा विभाग की राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में लगातार तीन वर्षों तक सर्वश्रेष्ठ हिंदी वक्ता का सम्मान हासिल किया था. क़ानून की पढ़ाई पूरी करने के बाद 1973 में सुषमा ने सुप्रीम कोर्ट से अपनी वकालत की प्रैक्टिस शुरू की.
गृहस्थ जीवन :-
13 जुलाई 1975 को सुषमा ने स्वराज कौशल के साथ शादी की, और वो सुषमा स्वराज बन गयी. उन दिनों स्वराज कौशल जी भारत के सर्वोच्च न्यायालय में सुषमा के सहकर्मी वकील थे. आपको बता दे कि स्वराज कौशल वो नाम है जो 34 वर्ष की आयु में ही देश के सबसे युवा महाधिवक्ता और 37 साल की उम्र में देश के सबसे युवा राज्यपाल बने. वह 1990-93 के बीच मिज़ोरम के राज्यपाल बनाए गये थे.स्वराज कौशल व सुषमा स्वराज की एकमात्र बेटी बंसुरी स्वराज है, जो कि ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से स्नातक और इनर टेम्पल से बैरिस्टर है और भारत के सर्वोच्च न्यायालय में वकालत करती हैं.
राजनीतिक कैरियर :-
सुषमा ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत वर्ष 1970 के दशक में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के साथ की थी. इमरजेंसी के दौरान स्वराज कौशल बड़ौदा डायनामाइट केस में उलझे समाजवादी नेता जॉर्ज फर्नांडिस के वकील थे. इसी केस के सिलसिले में सुषमा स्वराज भी जॉर्ज फर्नांडिस की डिफेंस टीम में शामिल हुईं थी वर्ष 1976 में जब जॉर्ज फर्नांडिस को गिरफ़्तार कर मुज़फ़्फ़रपुर की जेल में रखा गया था. तो उन्होंने वहीं से लोकसभा चुनाव लड़ने का फ़ैसला किया था. वर्ष 1977 के लोकसभा चुनाव में जॉर्ज ने जेल से ही नामांकन भरा. तो उस समय सुषमा स्वराज दिल्ली से मुज़फ़्फ़रपुर पहुंचीं और पूरे क्षेत्र में हथकड़ियों में जकड़ी जॉर्ज फर्नांडिस की तस्वीर दिखा कर उनका बहुत ही आक्रामक ढंग से प्रचार किया.
उस दौरान सुषमा स्वराज ने लोगों को नारा दिया कि ‘जेल का फाटक टूटेगा, जॉर्ज हमारा छूटेगा’ यह नारा लोगों की ज़ुबान पर छा गया और जॉर्ज फर्नांडिस लोकसभा चुनाव जीत गये. उसके पश्चात जयप्रकाश नारायण के संपूर्ण क्रांति आंदोलन में सुषमा ने बहुत ही सक्रिय ढंग से भाग लिया. देश में लगे आपातकाल के बाद वो भाजपा के गठन के समय उसमें शामिल हो गयी और देखते ही देखते वह भाजपा में छा गयी और पार्टी के राष्ट्रीय नेताओं की जमात में शामिल हो गयी. उसके बाद विभिन्न संवैधानिक पदों पर आसीन रही.
* वर्ष 1977 से 1982 तक हरियाणा विधानसभा की सदस्य रही, मात्र 25 वर्ष की उम्र में उन्होंने अम्बाला छावनी विधानसभा सीट हासिल की थी, और फिर 1987 से 1990 तक विधानसभा की सदस्य रही.
* जुलाई 1977 में, उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री देवी लाल के नेतृत्व वाली जनता पार्टी सरकार में कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली और श्रम मंत्री के रूप में कार्य किया. महज़ 25 वर्ष की आयु में चौधरी देवी लाल सरकार में राज्य की श्रम मंत्री बन कर सबसे युवा कैबिनेट मंत्री बनने की उपलब्धि हासिल की.
.* वर्ष 1979 में उन्हें जनता पार्टी (हरियाणा) के राज्य अध्यक्ष के रूप में चुना गया.
* वर्ष 1987 से 1990 की अवधि के दौरान भारतीय जनता पार्टी-लोकदल गठबंधन सरकार में हरियाणा राज्य की शिक्षा मंत्री रही.
* अक्टूबर 1998 में उन्होंने दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था.
* अप्रैल 1990 में, उन्हें राज्य सभा के सदस्य के रूप में चुना गया.
* अप्रैल 1996 के चुनावों में दक्षिण दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र से 11वीं लोकसभा के लिए चुना गया था. और पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की 13 दिन की सरकार के दौरान केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री थीं.
* मार्च 1998 में उन्होंने दक्षिण दिल्ली संसदीय क्षेत्र से एक बार फिर चुनाव जीता, इस बार फिर से उन्होंने वाजपेयी सरकार में दूरसंचार मंत्रालय के अतिरिक्त प्रभार के साथ सूचना एवं प्रसारण मंत्री बनाया गया. 19 मार्च 1998 से 12 अक्टूबर 1998 तक वह इस पद पर रही. इस अवधि के दौरान उनका सबसे उल्लेखनीय निर्णय फिल्म उद्योग को एक उद्योग के रूप में घोषित करना था, जिससे कि भारतीय फिल्म उद्योग को भी बैंक से क़र्ज़ मिल सकता था.
महत्वपूर्ण आसीन पद :-
– 1977–82 हरियाणा विधान सभा की सदस्य निर्वाचित.
– 1977–79 हरियाणा सरकार में श्रम एवं रोजगार मन्त्री बनीं.
– 1987–90 हरियाणा विधान सभा की सदस्य निर्वाचित.
– 1987–90 मन्त्रिमण्डल सदस्य, शिक्षा, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति, हरियाणा सरकार.
– 1990–96 राज्य सभा में चुनी गयीं.
– 1996–97 [15 मई 1996 – 4 दिसम्बर 1997] सदस्य, 11वीं लोक सभा बनीं.
– 1996 [16 मई – 1 जून] – केन्द्रीय मन्त्रिमण्डल में सूचना एवं प्रसारण मन्त्री बनीं. इसी दौरान उन्होंने लोकसभा में चल रही डिबेट के लाइव प्रसारण का फ़ैसला किया था.
– 1998–99 [10 मार्च 1998 – 26 अप्रैल 1999] सदस्य, 12वीं लोक सभा बनीं.
– 1998 [19 मार्च – 12 अक्तूबर] केन्द्रीय मन्त्रिमण्डल में सूचना एवं प्रसारण तथा दूरसंचार मंत्री (अतिरिक्त प्रभार) बनीं.
– 1998 [13 अक्तूबर – 3 दिसम्बर] दिल्ली के मुख्यमंत्री की शपथ लेने के बाद लेफ़्टिनेंट गवर्नर विजय कपूर ने सुषमा स्वराज को दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनने पर बधाई दी. इसी वर्ष अक्तूबर में उन्होंने केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफ़ा दे दिया और बतौर दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री कार्यभार संभाला लिया.
– नवम्बर 1998 – दिल्ली विधान सभा के हौज खास निर्वाचन क्षेत्र से निर्वाचित. हालांकि दिसंबर 1998 में उन्होंने राज्य विधानसभा सीट से इस्तीफ़ा देते हुए राष्ट्रीय राजनीति में वापसी की और 1999 में कर्नाटक के बेल्लारी से कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के ख़िलाफ़ चुनाव मैदान में उतरीं लेकिन वो चुनाव हार गयीं. फिर साल 2000 में उत्तर प्रदेश से राज्यसभा सांसद के रूप में संसद में वापस लौट आयी.
– 2000–06 राज्य सभा सदस्य बनीं.
– 2000–03 [30 सितम्बर 2000 – 29 जनवरी 2003] अटल बिहारी वाजपेयी की केंद्रीय मंत्रिमंडल में वो फिर से सूचना प्रसारण मंत्री बनाई गयीं.
– 2003–04 [29 जनवरी 2003 – 22 मई 2004] अटल सरकार में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मन्त्री एवं संसदीय विषयों की मन्त्री बनीं.
-2006–09 [अप्रैल 2006 -2009] सदस्य, राज्य सभा बनीं.
-2009–14 [16 मई 2009 – 18 मई 2014] सदस्य, 15वीं लोक सभा सदस्य बनीं.
– 2009-09 [3 जून 2009 – 21 दिसम्बर 2009] लोकसभा में विपक्ष के उप नेता बनीं.
– 2009–14 [21 दिसम्बर 2009 – 18 मई 2014]
2009 में जब सुषमा स्वराज मध्य प्रदेश के विदिशा से लोकसभा पहुंची तो अपने राजनीतिक गुरु लाल कृष्ण आडवाणी की जगह 15वीं लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाई गयीं. वर्ष 2014 तक वो इसी पद पर आसीन रहीं.
– 2014–19 [26 मई 2014–24 मई 2019] सदस्य, 16वीं लोक सभा बनीं.
– 2014–19 [26 मई 2014–24 मई 2019] वर्ष 2014 में वो दोबारा विदिशा से जीतीं और मोदी मंत्रिमंडल में भारती की पहली पूर्णकालिक विदेश मंत्री बनाई गयीं.
सुषमा जी के नाम पर उपलब्धियां :-
– साल 1977 में मात्र 25 साल की उम्र में देश की सबसे कम उम्र की कैबिनेट मंत्री बनीं.
-भारत में एक राष्ट्रीय राजनीतिक दल की पहली महिला प्रवक्ता बनी.
– भाजपा की प्रथम महिला मुख्य मंत्री, केन्द्रीय मन्त्री, महासचिव, प्रवक्ता, विपक्ष की नेता एवं विदेश मंत्री बनीं.
– दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं.
– वर्ष 2008 व 2010 में सर्वश्रेष्ठ संसदीय पुरस्कार, उत्कृष्ट संसदीय पुरस्कार को प्राप्त करने वाली पहली और एकमात्र महिला सांसद बनीं.
– विदेश मंत्री के रूप में 90 हजार लोगों को सुरक्षित विदेश से स्वदेश लाने का रिकॉर्ड बनाया.
देश की प्रखर और ओजस्वी वक्ता, प्रभावशाली व्यक्तित्व की धनी और बहुत ही कुशल प्रशासक मानी जाने वाली सुषमा स्वराज की गिनती कभी अटल बिहारी वाजपेयी के बाद देश के सबसे लोकप्रिय वक्ताओं में होती थीं. सुषमा स्वराज भाजपा की एकमात्र ऐसी नेता हैं, जिन्होंने उत्तर भारत और दक्षिण भारत, दोनों क्षेत्र से चुनाव लड़ा है. वह भारतीय संसद की ऐसी अकेली महिला नेता हैं जिन्हें असाधारण सांसद चुना गया. वह देश के किसी भी राजनीतिक दल की पहली महिला प्रवक्ता भी थीं.
उनके ओजस्वी व्यक्तित्व का कमाल यह है कि वो सात बार सांसद और तीन बार विधायक रह चुकी है. वो दिल्ली की पांचवीं मुख्यमंत्री, 15वीं लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष, संसदीय कार्य मंत्री, केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री, केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री और विदेश मंत्री जैसे महत्वपूर्ण पदों पर आसीन रही है. मोदी सरकार के प्रथम कार्यकाल में बतौर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ट्विटर पर भी काफ़ी सक्रिय रहती थीं. उनके 1.3 करोड़ फॉलोअर्स थे. ट्विटर पर विदेश में फँसे लोग व अन्य सहायता के लिये बतौर विदेश मंत्री लोग उनसे मदद मांगते. लेकिन वो कभी किसी को निराश नहीं करतीं थी सबकी मदद करती थी. उनका ट्विटर पर सक्रिय रहते हुए लोगों की मदद करना देश विदेश में काफ़ी चर्चा में रहा है. उन्होंने बतौर विदेश मंत्री अपने कार्यकाल में रिकॉर्ड 90 हजार लोगों को विदेशों से सुरक्षित निकालकर भारत पहुंचाया था. जिसके लिए सभी उनकी तारीफ करते हैं.
29 सितंबर 2018 को संयुक्त राष्ट्र संघ में दिया गया उनका का भाषण विश्व पटल पर ख़ूब चर्चा में रहा. जिसमें उन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ को परिवार के सिद्धांत पर चलाने की बहुत ही शानदार नसीहत दी थी. मोदी सरकार में विदेश मंत्री के कार्यकाल के दौरान लगातार यह भी ख़बर आती रही कि उनकी तबीयत ठीक नहीं है. नवंबर 2016 में खुद सुषमा स्वराज ने ट्वीट कर देश के आम लोगों को अपनी किडनी के ख़राब होने की जानकारी दी. बाद में उनका किडनी ट्रांसप्लांट किया गया. नवंबर 2018 में ही सुषमा स्वराज ने यह एलान कर दिया था कि वो 2019 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी. ट्विटर पर बहुत सक्रिय रहने वाली सुषमा स्वराज ने अपनी मौत से महज़ कुछ घंटे पहले 6 अगस्त 2019 को 07.30 pm पर धारा 370 को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद देता हुआ ट्वीट किया था. जो इस प्रकार है.
प्रधान मंत्री जी – आपका हार्दिक अभिनन्दन. मैं अपने जीवन में इस दिन को देखने की प्रतीक्षा कर रही थी.
@narendramodi ji – Thank you Prime Minister. Thank you very much. I was waiting to see this day in my lifetime.
इस ट्वीट के समय कोई नहीं जानता था कि यह ट्वीट देश की प्रखर ओजस्वी वक्ता परंपराओं व आधुनिकता का संगम सुषमा स्वराज का आख़िरी ट्वीट होगा.
06 अगस्त 2019 को उनके आकस्मिक निधन के साथ ही भारतीय राजनीति का एक अध्याय हमेशा के लिए समाप्त हो गया. आज हम सभी देशवासी उनको अश्रुपूरित श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कोटि-कोटि नमन् करते हैं.
(दीपक कुमार)
स्वतंत्र पत्रकार व स्तंभकार,